मीडिया और प्रोपेगेंडा
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम
अस्सलामु अलेकुम वरहमतुल्लाहि वबरकातुह
भाइयों और बहनों, आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जो हमारी कौम के लिए सबसे बड़ा चैलेंज बन चुका है- मीडिया और उसके ज़रिए फैलाया जाने वाला प्रोपेगेंडा। आज की दुनिया में इत्तेलाआत यानी इंफॉर्मेशन बहुत तेज़ी से फैलती है, और अफ़सोस की बात यह है कि मीडिया का बड़ा हिस्सा इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ एक तरफा कहानी पेश करता है। ऐसे में हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम सही हक़ीक़त को सामने लाएं और इस्लाम की सही तस्वीर दुनिया को दिखाएं।
मीडिया का आला कैसे बना प्रोपेगेंडा?
भाइयों, मीडिया का काम लोगों तक सही खबर पहुंचाना है, लेकिन आज इसे एक प्रोपेगेंडा टूल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। इस्लाम को आ-तंक-वाद से जोड़ा जाता है, मुसलमानों को पिछड़ा दिखाया जाता है, और हमारे खिलाफ नफरत फैलाई जाती है।
भाइयों, कुरआन हमें सच बोलने और हक को क़ायम करने की तालीम देता है
तर्जुमा: ईमान वालों। अगर कोई फासिक तुम्हारे पास कोई ख़बर लेकर आए, तो उसकी तहकीक़ कर लिया करो, के कहीं किसी कौम को बे जाने ईज़ा न दे बेठो, फिर अपने किए पर पछताते रह जाओ। (सूरह अल-हुजरात आयत 6)
यानी बिना तहक़ीक़ के किसी भी खबर को सच मान लेना गलत है। लेकिन आज की दुनिया में, लोग झूठी खबरें देखकर मुसलमानों के बारे में राय बना लेते हैं।
प्रोपेगेंडा कैसे फैलाया जाता है?
1. सिर्फ नेगेटिव खबरें दिखाना जब कोई एक ख़ास तबके का शख्स कोई मामूली जुर्म करता है, तो मीडिया उसे "न जाने क्या क्या कहकर दिखाता है", लेकिन जब वहीँ कोई दुसरे तबक़े का कोई शख्स ऐसा करता है, तो उसे "मानसिक रूप से बीमार" कहकर बचाने की कोशिश की जाती है।
2. तस्वीरें और वीडियो के ज़रिए गुमराह करना सोशल मीडिया पर एडिटेड वीडियो और झूठी खबरें फैलाई जाती हैं, जिससे मुसलमानों को बुरा दिखाया जा सके।
3. इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करना मुसलमानों की सुनहरी तारीख को छिपाया जाता है, और सिर्फ नेगेटिव चीज़ों को उजागर किया जाता है।
दुनिया की मिसालें
दुनिया में जब मुसलमानों पर ज़ुल्म होता है, तो मीडिया चुप रहता है, लेकिन जब वे अपने हक की बात करते हैं, तो उन्हें "न जाने क्या क्या" कहा जाता है। और मुसलमानों के बारे में नफरत फैलाई जाती है।
मुसलमान क्या करें?
1. मीडिया को एक्सपोज़ करें झूठी खबरों के जवाब में सच फैलाएं, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहें और दलील के साथ जवाब दें।
2. अपना मीडिया बनाएं मुसलमानों को चाहिए कि वे अपने न्यूज़ चैनल, यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस्लाम की सही तस्वीर पेश करें।
3. तालीम और रिसर्च पर ध्यान दें मीडिया की गलत खबरों का जवाब देने के लिए हमें इल्म और तहकीक़ में मज़बूत होना पड़ेगा।
नतीजा
भाइयों और बहनों, मीडिया आज की सबसे बड़ी ताक़त है। अगर हम इसे अपने खिलाफ़ इस्तेमाल होने देंगे, तो हमारी पहचान और हकीकत हमेशा दबाई जाएगी। लेकिन अगर हम इसे हिकमत और समझदारी से इस्तेमाल करेंगे, तो दुनिया को इस्लाम की असल तालीमात दिखा सकेंगे। अल्लाह हमें हक़ और सच के रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ दे। आमीन