सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल-musalman social media kaise use karen

मुसलमान सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल कैसे करें बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा मेहरबान और निहायत रहम करने वाला है। आज हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जहां सोशल मीडिया एक अखाड़ा का मैदान बन चुका है। यह सिर्फ मज़े के लिए इस्तेमाल होने वाला प्लेटफॉर्म नहीं रहा बल्कि अब यह सोच और नज़रिया बदलने का सबसे ताक़तवर ज़रिया बन चुका है। आज सोशल मीडिया पर इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ अफवाहें फैलाई जाती हैं और न जाने कैसी कैसी खबरें फैलाई जाती हैं और हमारी पहचान को गलत तरीके से पेश किया जाता है। सवाल यह है कि क्या हमें चुप बैठना चाहिए? नहीं बल्कि हमें इस मैदान में उतरकर हक़ की आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। लेकिन कैसे? क्या सिर्फ गुस्से में जवाब देने से काम बनेगा? नहीं हमें समझदारी से इस्लामी तहज़ीब के साथ और दलीलों के ज़रिए जवाब देना होगा। आज हम बात करेंगे कि मुसलमान सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल कैसे करें और इस्लाम के खिलाफ फैलाई गई अफवाहों का जवाब किस तरह दें।

खबरें कैसी फैलाई जाती हैं

सोशल मीडिया पर अफवाहें कैसे फैलाई जाती हैं भाइयो और बहनो पहले ये समझना ज़रूरी है कि सोशल मीडिया पर अफवाहें कैसे फैलाई जाती हैं। मनगढ़ंत खबरें— मुसलमानों को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें फैलाई जाती हैं। एडिट किए हुए वीडियो और तस्वीरें — एक तस्वीर को काटछांट कर उसे गलत मतलब देकर पेश किया जाता है। मुसलमानों की गलत छवि दिखाना — सोशल मीडिया पर बार बार ऐसा कंटेंट पोस्ट किया जाता है जिससे मुसलमानों को बुरा दिखाया जा सके। फेक अकाउंट्स के ज़रिए नफरत फैलाना — कुछ लोग नकली अकाउंट बनाकर इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलते हैं।

अब सवाल यह है कि इसका जवाब कैसे दिया जाए।

मुसलमान सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल कैसे करें

इल्म और तहकीक के साथ जवाब दें

सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि बिना इल्म के कोई भी जवाब देना नुकसानदेह हो सकता है। कुरआन कहता है अगर कोई खबर तुम्हारे पास आए तो पहले तहकीक कर लो। सूरह अल हुजरात आयत 6

अगर कोई झूठी खबर फैलाई जा रही है, तो बिना तहकीक उसे शेयर मत करें। पहले देखें कि क्या ये सच है या सिर्फ एक अफवाह।

अगर हमें जवाब देना है तो सही तर्क और हकीकत के साथ दें। गुस्से में नहीं अक्लमंदी से जवाब दें

कई बार होता यह है कि जब हम इस्लाम या मुसलमानों के खिलाफ कोई झूठी बात देखते हैं तो गुस्से में आकर उल्टा सीधा बोल देते हैं। लेकिन क्या यही इस्लाम सिखाता है। हदीस में आता है पहलवान वह नहीं जो लड़ाई में किसी को गिरा दे बल्कि असली पहलवान वह है जो गुस्से के वक्त अपने आप को काबू में रखे। सहीह बुखारी

सोशल मीडिया पर जब भी कोई इस्लाम के खिलाफ बोले तो गुस्से से नहीं बल्कि तर्क और तहज़ीब से जवाब दें। अगर कोई कहे कि मुसलमान बुरे होते हैं तो हम क्या करें। उन्हें बताएं कि कुरआन कहता है जिसने एक बेगुनाह को मारा उसने पूरी इंसानियत को मार डाला। सूरह अल माइदा आयत 32

अगर कोई कहे कि इस्लाम औरतों पर ज़ुल्म करता है तो उन्हें बताएं कि हज़रत खदीजा रज़ियल्लाहु अन्हा एक ताजिरा यानी बिजनेस वुमन थीं और नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने उनका बहुत एहतिराम किया।

सोशल मीडिया पर इस्लाम की सही तालीमात फैलाएं

अगर लोग इस्लाम को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं तो हमें इस्लाम की असली तस्वीर दुनिया के सामने रखनी होगी।

हमें पोस्ट और वीडियो के ज़रिए यह बताना चाहिए कि इस्लाम क्या सिखाता है। इस्लाम मोहब्बत और अमन का मज़हब है। इस्लाम इंसाफ बराबरी और भाईचारे की तालीम देता है। मुसलमानों ने दुनिया को इल्म तहज़ीब और तरक्की दी है। अगर मीडिया हमें बुरा दिखा रहा है तो हमें सोशल मीडिया पर इस्लाम की खूबसूरती दिखानी होगी।

अच्छे कंटेंट क्रिएटर्स को सपोर्ट करें

आज कई मुसलमान सोशल मीडिया पर इस्लाम की सही बात फैला रहे हैं। हमें ऐसे लोगों को सपोर्ट करना चाहिए उनके वीडियो और पोस्ट शेयर करनी चाहिए।

अगर कोई यूट्यूबर या ब्लॉगर इस्लाम की सही तस्वीर दिखा रहा है तो उसकी पोस्ट को शेयर करें। अगर कोई मुसलमान इस्लामी तालीम पर वीडियो बना रहा है तो उसे लाइक और सपोर्ट करें। याद रखें अगर हम हक़ की बात को आगे नहीं बढ़ाएंगे तो लोग सिर्फ झूठ ही सुनेंगे।

अफवाहें और झूठे दावे फैलाने वालों को बेनकाब करें

अगर कोई सोशल मीडिया पर झूठ फैला रहा है तो हमें तहकीक के साथ उसे बेनकाब करना चाहिए। अगर कोई सोशल मीडिया अकाउंट नफरत फैला रहा है तो उसे रिपोर्ट करें। अगर किसी न्यूज़ चैनल ने मुसलमानों के खिलाफ झूठी रिपोर्ट दी है, तो उस पर सही जानकारी के साथ रौशनी डालें। याद रखें झूठ तब तक चलता है जब तक सच बोलने वाले खामोश रहते हैं।

सोशल मीडिया से मुसलमानों की गलत छवि बदल सकती है

भाइयो और बहनो अगर हम सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें तो दुनिया की सोच बदल सकती है। अगर हम इस्लाम की सही तालीम पेश करें तो लोग अफवाहों पर यक़ीन करना छोड़ देंगे। अगर हम झूठ का तर्क और तहज़ीब से जवाब दें तो लोग खुद समझ जाएंगे कि इस्लाम अमन और मोहब्बत का मज़हब है।

तो आइए आज से सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें हक़ की आवाज़ उठाएं और इस्लाम की असली पहचान दुनिया के सामने लाएं।

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islami Aaina
यहां इस्लामी मकालात शेयर किए जाते हैं, हमारा मकसद इस्लाम का पैग़ाम, मोहब्बत, अमन और इन्साफ़, लोगों तक पहुँचाना है।

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