नफरत का जवाब मुहब्बत से quran hamen kya sikhata hai

और अच्छाई और बुराई बराबर नहीं हो सकती, बुराई को भलाई के साथ दूर करदो,

 

नफरत का जवाब मोहब्बत से 

अल्हम्दुलिल्लाह। हम सब इस दुनिया में एक दुसरे से जुड़े हुए हैं और हमारी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी यह है कि हम अल्लाह की बनाई हुई मखलूक से मोहब्बत करें। लेकिन अफ़सोस की बात है कि आजकल लोगों के बीच नफरतें बहुत ज़्यादा फैल रहीं हैं  कुछ लोग नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, 

खासकर मुसलमानों के खिलाफ। यह हमारे लिए एक इम्तेहान है कि हम इस नफरत का जवाब कैसे दें? 

सबसे पहले, कुरआन हमें क्या सिखाता है? 

अल्लाह तआला कुरआन में फरमाता हैं: 

और अच्छाई और बुराई बराबर नहीं हो सकती, बुराई को भलाई के साथ दूर करदो, तो तुम्हारे और जिस शख्स के दरमियान दुश्मनी होगी वह उस वक़्त ऐसा हो जाएगा के जैसे वह गहरा दोस्त है।" (सूरह फुस्सिलातः 34) 

यानी अगर कोई तुमसे बुराई करे, तो तुम उसका जवाब अच्छाई से दो। यह आसान नहीं है, लेकिन यही हमारे लिए सबसे बेहतरीन तरीका है। नफरत को नफरत से मिटाया नहीं जा सकता, बल्कि मोहब्बत, सब्र और अक्लमंदी से इसे हराया जा सकता है। 

हदीस में क्या तालीम दी गई है? 

रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को जब ताइफ के लोगों ने पत्थर मारे, तो जिब्रील अमीन आए और कहा कि अगर आप हुक्म दें तो इन लोगों को तबाह कर दिया जाए। लेकिन आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमायाः नहीं। में उम्मीद करता हूँ कि अल्लाह इनके बाद ऐसी नस्ल पैदा करेगा जो ईमान लाएगी। 

यानी हमें गुस्से ओर नफरत का जवाब गुस्से से नहीं देना, बल्कि सब्र से ओर हिकमत से देना है। 

दुनिया की मिसालें 

अगर हम दुनिया की तारीख देखें, तो हमें बहुत सी मिसालें मिलती हैं कि जब किसी  पर ज़ुल्म किया गया, लेकिन उन्होंने अक्लमंदी और हिकमत से उसका जवाब दिया। 

इसी तरह हमें भी चाहिए कि हम नफरत के खिलाफ मोहब्बत और हिकमत से काम लें। 

हमारा अमल कैसा होना चाहिए? 

1. सब्र और हिकमत से काम लें जब कोई नफरत फैलाए, तो हम सब्र और हिकमत के साथ जवाब दें, जैसा कि कुरआन और हदीस में सिखाया गया है। 

2. इल्म और दलील के साथ बात करें 

3. अपने किरदार को बेहतरीन बनाएं अगर कोई हम पर इल्ज़ाम लगाए, तो उसका जवाब इल्म और हिकमत से दें। कुरआन में फरमाया गया है: "और उनसे इस तरीके से बहस करो जो सबसे अच्छा हो। (सूरह अन-नहल: 125) लोग हमारी बातें कम सुनते हैं, लेकिन हमारे अमल को ज़्यादा देखते हैं। अगर हम अमानतदार, सच्चे और अच्छे इंसान बन जाएं, तो कोई हम पर उंगली नहीं उठा सकेगा। 

4. मीडिया और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करें आजकल अफवाहें और गलतफहमियां बहुत तेज़ी से फैलती हैं, हमें सही बातें फैलानी चाहिए और झूठ को रोकना चाहिए। 

5. मुसलमानों के बीच इत्तेहाद (एकता) पैदा करें हमें आपस में लड़ने के बजाए एकजुट होना चाहिए, क्योंकि जब हम एक साथ होंगे, तो कोई हमें कमज़ोर नहीं कर सकता। 

आखरी कलमात

भाइयों और बहनों। अगर आज हमारे खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है, तो यह हमारे लिए इम्तेहान है कि हम इसका जवाब कैसे देते हैं। क्या हम गुस्से और बदले का रास्ता अपनाते हैं, या फिर हम हिकमत, सब्र और मोहब्बत से इस फितने का मुकाबला करते हैं? आइए, हम अपने किरदार और अपने अमल से दुनिया को दिखाएं कि इस्लाग अमन और इंसाफ़ का मज़हब है। 

अल्लाह हमें समझने और अमल करने की तौफीक दे। आमीन।


About the author

islami Aaina
यहां इस्लामी मकालात शेयर किए जाते हैं, हमारा मकसद इस्लाम का पैग़ाम, मोहब्बत, अमन और इन्साफ़, लोगों तक पहुँचाना है।

एक टिप्पणी भेजें