आजकल एक अजीब दौर चल रहा है एक तरफ तो इंसान चांद और सितारों पर पहुंच गया है और दूसरी तरफ दिलों में नफरत जुबानों पर ज़हर और जहालत का तूफान है। आज कुछ लोग जानबूझकर या फिर बिना इल्म के कुरआन के खिलाफ बातें करते हैं लेकिन सवाल ये है हम इसका जवाब कैसे दें गुस्से से झगड़े से नहीं हमें जवाब देना है हिकमत इल्म और सब्र से।
कुरआन की हिफाजत करने वाला खुद अल्लाह है
अल्लाह तआला ने कुरआन के बारे में फरमाया बेशक हमने इस कुरआन को नाज़िल किया है और बेशक हम खुद इसकी हिफाजत करने वाले हैं सूरह अल हिज्र आयत 9 यानी कुरआन को न कोई मिटा सकता है न बदल सकता है इसकी हिफाजत खुद अल्लाह के जिम्मे है जो लोग इसके खिलाफ बोलते हैं दरअसल वो खुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं क्योंकि कुरआन तो रहनुमा है और जो इससे दुश्मनी रखे वो खुद गुमराह हो जाता है।
हमें कैसे जवाब देना है
कुरआन कहता है अपने रब के रास्ते की तरफ हिकमत और अच्छी नसीहत के साथ बुलाओ और उनसे बहस करो ऐसे तरीके से जो सबसे बेहतर हो सूरह अन नहल आयत 125 देखिए हमें गालियों का जवाब गालियों से नहीं देना वरना हम में और उनमें क्या फर्क रह जाएगा हमें चाहिए कि हम दलील अच्छाई और अदब से बात करें ऐसा तरीका अपनाएं जो सामने वाले के दिल तक पहुंचे।
हदीस से सबक
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मक्का के लोगों ने अज़िय्यतें दीं तकलीफें दीं लेकिन आपने कभी ज़ुबान से बद्दुआ नहीं दी बल्कि दुआ दी जब एक यहूदी आपके पास आया और बदतमीजी की तो आपने सब्र किया और हक बात नर्मी से समझाई यही तरीका हमारा भी होना चाहिए।
वाकिआ उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का ईमान लाना
हज़रत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु इस्लाम से पहले बहुत सख्त थे एक दिन जब वो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मारने निकले तो किसी ने बताया कि पहले अपनी बहन के घर देखो जब वो वहां पहुंचे तो बहन कुरआन की तिलावत कर रही थीं पहले तो उन्होंने मारा लेकिन फिर जब कुरआन की आयतें सुनीं तो उनका दिल पसीज गया वो बोले मुझे ये तिलावत सुनाओ और वहीं से उनके दिल का हाल बदल गया देखिए कुरआन में इतनी ताकत है कि जो उसे दिल से सुने उसका दिल बदल जाता है तो हमें भी लोगों तक कुरआन को खूबसूरती से पहुंचाना है।
दुनिया की मिसालें
आज बहुत से गैर मुस्लिम स्कॉलर भी कुरआन की तारीफ करते हैं मॉरिस बुकाय जो एक मशहूर फ्रेंच साइंटिस्ट थे उन्होंने The Bible the Quran and Science किताब लिखी जिसमें उन्होंने माना कि कुरआन में जो साइंस है वो अल्लाह की तरफ से ही हो सकती है डॉक्टर कीथ मूर जो एम्ब्रायोलॉजी के एक्सपर्ट हैं उन्होंने भी माना कि कुरआन में जो इंसान की पैदाइश का ज़िक्र है वो हज़ारों साल पहले कोई नहीं जान सकता था यानी अगर कोई खुले दिल से कुरआन को देखे तो उसे सच नज़र आता है।
हमारा किरदार कैसा हो
1 इल्म हासिल करें हमें खुद कुरआन को समझना है ताकि जब कोई सवाल करे तो हम सही जवाब दे सकें।
2 सब्र और नर्मी से जवाब दें कभी भी गुस्से में बहस न करें क्योंकि गुस्सा दलील को कमजोर कर देता है।
3 सोशल मीडिया पर अदब से लिखें वहां भी जवाब दें लेकिन जुबान साफ होनी चाहिएअगर हम भी वही लहजा अपनाएं तो लोग हमसे दूर हो जाएंगे।
4 कुरआन की खूबियां बताएं लोगों को कुरआन की खूबसूरत बातें दिखाएं जैसे इंसाफ रहम पड़ोसियों के हुकूक और इल्म की अहमियत।
आखरी कलमात
भाइयों कुरआन कोई मामूली किताब नहीं ये अल्लाह का कलाम है अगर कोई इसके खिलाफ बोलता है तो हम उसको दलील से जवाब दें और उस पर अफसोस करें कि उसने अभी तक हक को नहीं जाना हमारा काम है कि हम इल्म सब्र और मोहब्बत से लोगों को हक दिखाएं दुआ है कि अल्लाह हमें अपने कलाम से मोहब्बत करने उसे समझने उस पर अमल करने और दुनिया तक उसकी हकीकत पहुंचाने की तौफीक अता फरमाए।
