क्या सारे मुसलमान सिर्फ पंचर ही बनाते हैं | महनत से रोज़ी कमाना इज्ज़त की बात है

नबी ए करीम ने भी फरमाया सबसे पाक कमाई वह है जो अपने हाथों से मेहनत करके कमाई जाए। (मुसनद अहमद)

अल्लाह के नाम से शुरू जो बड़ा मेहरबान और रहम करने वाला है मुसलमान सिर्फ पंचर बनाने वाले सच्चाई या ग़लतफहमी भाइयो आज हम एक ऐसे मसले पर बात करने जा रहे हैं जो सिर्फ़ एक ताना नहीं बल्कि पूरी कौम के हौसले तोड़ने की एक चाल है। हम अक्सर सुनते हैं कि मुसलमानों को पंचर बनाने वाला कहा जाता है मानो यह उनका मज़ाक उड़ाने का कोई आसान तरीका हो लेकिन सवाल यह है कि क्या किसी मेहनत मशक्कत से की गई रोज़ी कमाना शर्म की बात है और अगर कुछ मुसलमान सच में पंचर बना रहे हैं तो इसकी असली वजह क्या है क्या यह उनकी काहिली आलस्य की निशानी है या फिर कुछ औरआइए इस मसले को कुरआन हदीस तारीख और आज के हालात की रोशनी में समझते हैं।

रोज़ी कमाना इस्लाम में इज़्ज़त की बात है

इस्लाम में मेहनत और हलाल रोज़ी कमाने को इज़्ज़त की नज़र से देखा गया है चाहे वह कोई भी काम हो अल्लाह तआला फ़रमाते हैं हमने तुम्हें सारे जहाँ के लिए रहमत बनाकर भेजा सूरह अलअंबिया अ 107 यानि नबी ए करीम पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए नबी ए करीम ने भी फरमाया सबसे पाक कमाई वह है जो अपने हाथों से मेहनत करके कमाई जाए। (मुसनद अहमद)

यानि पंचर बनाने वाला हो या किसी और पेशे से जुड़ा इंसान अगर वह मेहनत कर रहा है और अपनी रोज़ी हलाल कमा रहा है तो यह अल्लाह के नज़दीक एक पसंदीदा अमल है।

पंचर बनाने का ताना देने वालों से एक सवाल

अब सवाल यह उठता है कि अगर कोई मेहनत करके अपनी रोज़ी कमा रहा है तो इसमें शर्म की क्या बात है अगर कोई यह ताना देता है कि मुसलमान सिर्फ पंचर बनाते हैं तो उसे सोचना चाहिए अगर एक मुसलमान पंचर बना रहा है तो वह चोरी नहीं कर रहा।

अगर वह मेहनत से कमाता है तो वह किसी पर बोझ नहीं अगर वह अपनी मेहनत की कमाई से अपने बच्चों को पाल रहा है तो क्या यह बुरी बात है।

क्या पंचर बनाने से अच्छा बेइमानी करना है

आज समाज में कई लोग ऐसे हैं जो झूठ धोखा और भ्रष्टाचार से पैसा कमाते हैं लेकिन मुसलमान अगर ईमानदारी से छोटी मोटी रोज़ी कमा रहा हो तो उसी का मज़ाक उड़ाया जाता है यह कितना बड़ा नाइंसाफी वाला रवैया है।

क्या सारे मुसलमान सिर्फ पंचर बनाते हैं

अब आइए इस इल्ज़ाम की सच्चाई को देखें अगर दुनिया की बड़ी कंपनियों यूनिवर्सिटी साइंस और टेक्नोलॉजी की लिस्ट देखें तो हमें वहां भी मुसलमान मिलेंगे डॉक्टर्स और इंजीनियर्स भारत पाकिस्तान और दुनिया के कई हिस्सों में मुसलमान डॉक्टर इंजीनियर और साइंटिस्ट हैं नासा में गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों में मुसलमान काम कर रहे हैं।

बड़ी मुस्लिम हस्तियाँ

अब्दुस सलाम नोबेल प्राइज़ जीतने वाले फिजिक्स के साइंटिस्ट थे डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम भारत के मिसाइल मैन और राष्ट्रपति रहे मोहम्मद अली दुनिया के सबसे मशहूर बॉक्सर थे अगर मुसलमान सिर्फ पंचर बना रहे होते तो क्या ये लोग इतने बड़े मुकाम तक पहुंच पाते इतिहास गवाह है मुसलमान हमेशा लीडर रहे हैं अगर हम इस्लाम के शुरुआती दौर को देखें तो मुसलमानों ने हर फील्ड में कमाल किया इल्म और साइंस में मुसलमानों की लीडरशिप इब्ने सीना अविसेन्ना मेडिकल साइंस का बाब कहे जाते हैं इब्ने हाशम ऑप्टिक्स साइंस के जनक माने जाते हैं अलख्वारिज़्मी जिनकी खोज से आज की कंप्यूटर साइंस वजूद में आई।

मुसलमानों ने दुनिया को लीडरशिप दिया

जब यूरोप अँधेरे में था तब मुसलमानों की यूनिवर्सिटियाँ बगदाद क़ुर्तुबा और दमिश्क़ में रोशन थीं अब सोचिए अगर मुसलमान सिर्फ पंचर बनाते होते तो क्या ये सारी तरक्की होती।

मुसलमानों की मौजूदा हालत इसके पीछे कौन ज़िम्मेदार

अब सवाल यह है कि अगर कुछ मुसलमान आज सिर्फ छोटी मोटी नौकरियाँ कर रहे हैं तो इसकी वजह क्या है।

तालीम से दूरी

आज कई मुसलमान इल्म से दूर हो गए हैं तालीम से दूर हो गए हैं इसके अलावा भी मुसलमानों की तरक्की न करने और आगे न बढ़ने की बहुत सी वजूहात हैं लेकिन इसके बावजूद अगर कोई मेहनत करके रोज़ी कमा रहा है तो यह शर्म की नहीं बल्कि फख्र की बात है और मुसलमानों को तालीम और तरक्की की तरफ़ वापसी करनी चाहिए।

अब मुसलमानों को क्या करना चाहिए

मुसलमानों को इल्म से आरस्ता करना होगा अगर हम तालीम हासिल करेंगे तो कोई हमें छोटा नहीं समझ सकता हमें साइंस टेक्नोलॉजी इंजीनियरिंग और बिज़नेस में आगे बढ़ना होगा हर पेशे को इज़्ज़त देनी चाहिए हर पेशा बराबर होता है चाहे वह डॉक्टर बनना हो या पंचर बनाना मेहनत की कमाई इज़्ज़त वाली होती है अपने बच्चों को बड़ी सोच देना चाहिए मुसलमानों को अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वह सिर्फ सर्वाइवल के लिए न जिएँ बल्कि दुनिया में बड़ा मुक़ाम हासिल करें नतीजा पंचर बनाना शर्म की बात नहीं बल्कि इल्म से दूर रहना शर्म की बात है अगर कोई मुसलमान पंचर बना रहा है तो वह इज़्ज़त की रोज़ी कमा रहा है लेकिन मुसलमानों को सिर्फ पंचर बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि उन्हें तालीम कारोबार और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ना चाहिए।

अगर हम तालीम और तरक्की पर ध्यान देंगे तो कोई हमें पंचर बनाने वाला कहकर ताना नहीं देगा अल्लाह हम सबको हिदायत दे कि हम मेहनत करें तरक्की करें और दुनिया में फिर से एक मिसाल कायम करें।

सवाल जवाब

सवाल: क्या मुसलमान सिर्फ पंचर बनाने वाले हैं?

जवाब: नहीं यह बिल्कुल ग़लतफहमी है। मुसलमान हर फील्ड में काम कर रहे हैं डॉक्टर इंजीनियर साइंटिस्ट टीचर बिज़नेसमैन और कई प्रोफेशनल्स के रूप में। कुछ लोग मेहनत-मज़दूरी वाले पेशे में हैं तो कुछ तालीम और टेक्नोलॉजी में। इस्लाम किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझता मेहनत से कमाई गई रोज़ी ही असली इज़्ज़त है।

सवाल: क्या पंचर बनाना या मेहनत-मज़दूरी करना शर्म की बात है?

जवाब: हरगिज़ नहीं। इस्लाम ने मेहनत और हलाल कमाई को सबसे पाक अमल बताया है। नबी-ए-करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि सबसे पाक कमाई वही है जो इंसान अपने हाथों की मेहनत से कमाए। इसलिए पंचर बनाना खेती करना या कोई भी मेहनती काम करना इज़्ज़त और फख्र की बात है शर्म की नहीं।

सवाल: फिर मुसलमानों को “पंचरवाला” कहकर ताना क्यों दिया जाता है?

जवाब: यह ताना ना समझी और तालीम की कमी की वजह से दिया जाता है। कुछ लोग मुसलमानों की मेहनत का मज़ाक उड़ाकर उनकी हिम्मत तोड़ना चाहते हैं। असलियत यह है कि अगर मुसलमान तालीम और तरक्की पर ध्यान दें तो वही लोग जो आज ताने देते हैं, कल उनकी तारीफ़ करेंगे।

सवाल: मुसलमानों को इस हालात से निकलने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब: मुसलमानों को इल्म और हुनर को अपनाना होगा। सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि तालीम और टेक्नोलॉजी के ज़रिए तरक्की करनी होगी। अपने बच्चों को बड़ा सोचने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दें। हर काम को इज़्ज़त दें, लेकिन साथ हीतरक्की के लिए मेहनत और पढ़ाई को अपनी पहचान बनाएं ताकि कोई उन्हें “पंचर बनाने वाला” कहकर नीचा न दिखा सके।

About the author

islami Aaina
यहां इस्लामी मकालात शेयर किए जाते हैं, हमारा मकसद इस्लाम का पैग़ाम, मोहब्बत, अमन और इन्साफ़, लोगों तक पहुँचाना है।

एक टिप्पणी भेजें